राहत इंदौरी जी का नाम शायद ही कोई ऐसा हो जो न जानता हो। डॉ. राहत इंदौरी जी के कहे हुए अल्फाज लोगों के दिलों में बसते हैं। जो लोग शेरो शायरी के शौकीन हैं वो इस बात को बहुत अच्छी तरह से समझते हैं।
राहत जी के शेर को हर कोई पसन्द करता है। हर उम्र के लोग उनके कहे गए शेर को काफी पसंद करते हैं। हमें दुख है कि राहत जी अब हमारे बीच में नहीं हैं। लेकिन उनके शब्द हमेशा रहेंगे।
तूफानों से आंख मिलाओ, सैलाबों पर वार करो मल्लाहों का चक्कर छोड़ो, और तैर के दरिया पार करो।ऐसी शर्दी है कि सूरज भी दुहाई मांगे, जो परदेस में है वो किससे रजाई मांगे।
जुबां तो खोल, नजर तो मिला, जवाब तो दे, मैं कितनी बार लुटा हुँ, हिसाब तो दे।
फूलों की दुकानें खोलो, खुशबू का व्यापार करो, इश्क़ खता है तो, ये खता एक बार नहीं, सौ बार करो।आंखों में पानी रखो, होंठों पर चिंगारी रखो जिंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो।बहुत गुरुर है दरिया को अपने होने पर, जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियाँ उड़ जाए।
किसने दस्तक दी, दिल पे, ये कौन है, आप तो अंदर हैं, बाहर कौन है।
ये हादसा तो किसी दिन गुजरने वाला था, मैं बच भी जाता तो एक दिन मरने वाला था।मेरा नशीब, मेरे हाथ कट गए वरना मैं तेरी मांग में सिंदूर भरने वाला था।अंदर का जहर चूम लिया धुल के आ गये, कितने शरीफ लोग थे सब खुल आ गए।
कहीं अकेले में मिलकर झिझोड़ दूंगा उसे, जहां जहां से टूटा है जोड़ दूंगा उसे।
मुझे वो छोड़ गया ये कमाल है उसका, इरादा मैंने किया था कि छोड़ दूंगा उसे।
रोज तारों को नुमाइश में खलल पड़ता है, चाँद पागल है अंधेरे में निकल पड़ता है।हम से पहले भी कई मुसाफिर गुजरे होंगे कम से कम राह के पत्थर तो हटाके जाते।मोड़ होता है जवानी का संभलने के लिये, और सब लोग यहीं आके फिसलते क्यों हैं।
नींद से मेरा ताल्लुक ही नहीं बरसों से, ख्वाब आ आ के मेरे छत पे टहलते क्यों है।
इन रातों से अपना रिश्ता जाने कैसा रिश्ता है नींद कमरे में जागी है, ख्वाब छतों पर बिखरे हैं।