Gonda News: डिस्चार्ज के बिना ही अस्पताल छोड़ चले गए 1169 मरीज

Gonda News: कथित तौर पर राजकीय मेडिकल कॉलेज का हिस्सा बनने के बाद से गोंडा जिले के जिला अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाएं एकदम से बेकार हो गईं हैं। डॉक्टर व जरूरी दवाएं न मिलने के कारण मरीज परेशान हो कर सरकारी अस्पताल छोड़कर निजी अस्पतालों में इलाज कराने के लिए मजबूर हो जाते हैं। अभी पिछले ही महीने में 1,169 मरीज बिना डिस्चार्ज या रेफर हुए ही जिला अस्पताल से चले गए। यह इस बात को दर्शाती है की यहाँ की सेवाएं एकदम बदहाल हो चुकी हैं।

सूत्रों के अनुसार स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय के बाबू ईश्वर शरण चिकित्सालय में पिछले माह यानि जून के महीने में 2,203 मरीज भर्ती हुए थे। जिसमें से 647 मरीज तो स्वस्थ हो गए, स्वस्थ होने के बाद उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया। लेकिन गंभीर होने पर 359 मरीजों को अस्पताल से रेफर भी कर दिया गया। वहीं 28 मरीजों की मौत भी हो गई, और 1,169 मरीज बिना डॉक्टर को बताए ही चुपचाप अस्पताल से चले गए। अस्पताल प्रशासन ने ऐसे मरीजों की सूचना दर्ज कर अपने दायित्वों की खानापूर्ति कर ली।

कई बार सरकारी अस्पताल में अच्छा उपचार न मिलने के वजह से नाराज और परेशान मरीजाें को दलाल बहला-फुसलाकर निजी अस्पताल में लेकर चले जाते हैं। और इस काम के लिए दलालों को कमीशन मिलता है। ओपीडी से लेकर वार्डों तक हर जगह दलाल लगे रहते हैं।

कथित तौर पर अभी हाल ही में कई बाहरी लोगों के पकड़े जाने पर और उनको पुलिस के हवाले करने से खलबली मच गयी थी मगर सरकारी डॉक्टर ही उन्हें अपना सहयोगी बताकर कार्रवाई की जद से बाहर निकाल लाए।

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सभी मेडिकल कॉलेज में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने का भरोसा तो दिलाया जाता है, लेकिन हकीकत अभी कोसों दूर है। जो भी वहां पर भर्ती मरीज है उन्हें डॉक्टर कई-कई दिन देखने तक नहीं जाते। इसके आलावा मेडिकल स्टाफ इंजेक्शन लगाने तक के लिए सुविधा शुल्क मांगता है, जांच करवाना व दवाएं भी बाहर से ही लेना पड़ता है। यही कारण है की लोग सरकारी अस्पताल छोड़कर निजी अस्पतालों की ओर रुख कर रहे हैं। इसमें गरीब लोगों को ज्यादा परेशान होना पड़ता है। क्योंकि प्राइवेट अस्पताल काफी मंहगा हो जाता है और सरकारी अस्पताल सही से देखभाल करता नहीं है। मजदूर वर्ग कहाँ जाये?

एक न्यूज सोर्स के अनुसार राजकीय मेडिकल कॉलेज के नोडल अफसर डॉ. कुलदीप पांडेय ने बताया कि “अस्पताल से बिना बताए जाने वाले मरीजों में अधिकांश स्वस्थ होकर ही गए हैं। मामूली बीमारी में लोग भर्ती होने के कुछ घंटे बाद बिना बताए चले जाते हैं। उनकी निगरानी कराई जाएगी। मरीजों को फोन कर उनके स्वास्थ्य का हाल तथा अस्पताल से जाने का कारण पूछा जाएगा।”

Gonda News: अब देखना यह है की इसके आगे कुछ सुधार होता है या नहीं। अगर आप लोगों का कोई सरकारी अस्पताल का अनुभव है तो आप लोग कमेंट के माध्यम से हमें बताएं।

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